अहंकार की क्षणिक प्रकृति: विनम्रता का एक पाठ Secrets

आचार्य: तुम आत्मा हो? और क्या-क्या हो? परेश!

उकसाते रहते थे। उन्हें अपनी जिंदगी में छोटी-छोटी चीजों के लिए भी काफी संघर्ष

फिर आती है सात्विक अहंता की स्थिति। वो क्या है?

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प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, मैं आपको करीब-करीब सात-आठ महीनों से सुन रहा हूँ। करीब आपके बीस-पच्चीस कोर्सेज़ भी किये। मेरे तीन बच्चे हैं। एक अट्ठाइस साल का बेटा है, एक बाईस साल की और एक अठारह साल की बेटीयाँ है। तो आपसे मिलने के पहले मैं बच्चे से ये कह रहा था कि अट्ठाईस साल‌ के हो गये हो तो शादी कर लो। जब मैंने आपको सुना, अब उससे मैं ये बोलता हूँ, 'चाहो तो करना, इच्छा हो तो करना, नहीं तो मुझे दिक्कत नहीं है।'

तो प्रार्थना करने का, हमने कहा, अधिकार सिर्फ़ किसको है? सिर्फ़ किसको है प्रार्थना का अधिकार? जिसने पहले अपना अधिकतम श्रम और सामर्थ्य दर्शा दिया हो। किस दिशा में?

मानना था कि यदि वे हॉकी न खेलते तो उन्हें चपरासी की नौकरी भी न मिलती।

ठीक है, उसने तुम्हें बहुत परेशान किया। एक बार को तुम जंगल भाग गए, पर तुम हो कौन? जो परेशान होने को बहुत इच्छुक है। तो अब तुम कुछ तो वहाँ ख़ुराफ़ात करोगे न। हिरण को पछिया लोगे, पेड़ को खोदोगे, कोई खरगोश होगा उस पर कूदोगे। वो सटक लेगा और तुम गिरोगे, check here भाड़!

सिखाने की कोशिश की होगी कि सफलता पाकर घमंड नहीं करना चाहिए अपितु और अधिक नम्र

आप आपसे बहुत ज़्यादा बड़े हैं। आप अहंकार भी हैं, आत्मा भी हैं। अहंकार इत्तु! (उंगलियों द्वारा छोटा सा आकार बताते हुए) आत्मा…!

उत्तर- साक्षात्कार पढ़ कर हमारे मन में धनराज

हॉकी खेलना चाहते थे परन्तु उनके पास हॉकी स्टिक खरीदने के पैसे नहीं थे। अपने

जो आपको बार-बार मुक्ति की तरफ़ ले जाये, वो अच्छा अहंकार है।

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